राजस्थान की विधानसभा – गणपूर्ति व सत्र, कार्यकाल तथा प्रमुख शक्तियाँ

सामान्य परिचय:- हमारे देश में शासन व्यवस्था के लिये शक्ति पृथक्करण के सिद्धांत को अपनाया गया है जिसे प्रसिद्ध राजनीति विज्ञानवेत्ता मोन्टेस्क्यु ने दिया था। यह सिद्धांत बताता है कि कानून निर्माण की शक्ति (विधायिका), उसको लागू करने की शक्ति (कार्यपालिका) तथा कानून व्यवस्था एवं न्याय-निर्णय की शक्तियां (न्यायपालिका) अलग-अलग निहित होनी चाहिए। भारत के … Read more

राजस्थान में पाई जाने वाली प्रमुख मिट्टियाँ – Major soils of Rajasthan

राजस्थान में पाई जाने वाली प्रमुख मिट्टियाँ :- मृदा के अध्ययन को ‘पेडोलॉजी‘ कहते है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली (ICAR) द्वारा भारतीय मिट्टियों को आठ भागों में बांटा जाता है। ये हैं- राजस्थान में पाई जाने वाली प्रमुख मिट्टियाँ 1. रेतीली मृदा/बलुई/मरुस्थलीय मृदा शुष्क प्रदेश में मिलने वाली यह मृदा केल्सियम एवं फॉस्फोरस … Read more

राजस्थानी चित्रकला की मेवाड़ शैली – Mewar School of Paintings

मेवाड़ शैली राजस्थान की सबसे प्राचीन स्कूल मानी जाती थी, जिसके अंतर्गत उदयपुर, नाथद्वारा, चावंड, देवगढ़ शैलियाँ आती हैं। मेवाड़ शैली / उदयपुर शैली यह राजस्थान की मूल व सबसे प्राचीन शैली है। मेवाड़ चित्रकला शैली पर सर्वप्रथम गुजरात क्षेत्र का प्रभाव पड़ा। इस शैली का विकास कुम्भा के शासन काल मे शुरू हुआ। इसी … Read more

राजस्थानी चित्रकला की मारवाड़ शैली / Marwar School of Paintings

मारवाड़ शैली चित्रकला का सबसे प्रसिद्ध स्कूल है, जिसके अंतर्गत जोधपुर, जैसलमेर, बीकानेर, किशनगढ़, नागौर शैलियाँ आती है। जोधपुर शैली इस शैली का स्वर्ण काल राव मालदेव के शासन काल में था। इस शैली में चित्रित ‘चोखेलाव महल’ के भित्ति चित्र मालदेव की सैनिक रुचि को व्यक्त करते है जिसमें राम-रावण के युद्ध तथा सप्तसती … Read more

राजस्थानी चित्रकला – Rajasthani Painting

राजस्थानी चित्रकला का इतिहास अतीव प्राचीन है। कोटा के पास आलनियां में सीतामाता के मांडणे, भीलवाड़ा के ओझियाना में शैलचित्र तथा गरदड़ा (बूंदी) में बर्ड राइडर पेन्टिंग आदि इसके अदाहरण हैं। राजस्थान में महामारू शैली का प्रचलन गुर्जर प्रतिहार शासकों के शासन काल में हुआ। मेवाड़ रियासत राजस्थानी चित्रकला की जन्म भूमि कहलाती है। राजस्थान … Read more

राजस्थान में प्रमुख जनजाति आन्दोलन

राजस्थान में भील, मीणा, मेर, गरासिया आदि जनजातियाँ प्राचीन काल से ही निवास करती आई हैं। राजस्थान के डूंगरपुर व बांसवाड़ा क्षेत्र में भील जनजाति का बाहुल्य हैं। मेवाड़ राज्य की रक्षा में यहाँ के भीलों ने सदैव महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, इसलिए मेवाड़ राज्य के राजचिह्न में राजपूत के साथ एक धनुष धारण कीए हुए … Read more

राजस्थान और जनपद युग

300 ईसा पूर्व से 300 ई. तक आर्य युगीन संस्कृति के बाद राजस्थान में जनपदों का उदय देखने को मिलता है। उस समय की अनेक मुद्राओं, आभूषणों, अभिलेखों और खण्डहरों से हमारे इतिहास की घटनाएँ अधिक प्रमाणों पर आधारित की जा सकती है। भारत पर 326 ई. पूर्व में यूनानी राजा सिकन्दर ने आक्रमण किया। … Read more

राजस्थान का इतिहास – प्रागैतिहासिक, आद्य ऐतिहासिक एवं ऐतिहासिक काल

भारत एंव राजस्थान का इतिहास के स्त्रोतों व अध्ययन की दृष्टि से हम इतिहास को तीन भागों में बांटते हैं। 1. प्रागैतिहासिक काल 2. आद्य ऐतिहासिक काल 3. ऐतिहासिक काल 1. प्रागैतिहासिक काल – राजस्थान का इतिहास प्रागैतिहासिक काल हम उस काल को कहते हैं जिससे संबंधित हमें कोई लिखित साक्ष्य उपलब्ध नहीं होते तथा … Read more