उपखंड अधिकारी (S.D.O.) कौन होता है? एवं उनके प्रमुख कार्य

उपखंड अधिकारी (S.D.O.)

जिले का राजस्व एकत्रित करने की दृष्टि से जिलों को जिन इकाइयों (सामान्यतः 1-2 तहसीलों को मिलाकर) में बांटा गया हैं इन्हें उपखंड कहा जाता है। महाराष्ट्र में राजस्व उपखंड को ‘प्रान्त’ कहा जाता है। उपखंड अधिकारी तहसीलदार से पदोन्नत होकर अथवा आर.पी.एस.सी. द्वारा राजस्थान प्रशासनिक सेवाओं से चयनित किये जाते हैं।

ध्यातव्य रहे- राजस्थान में उपखंडों की संख्या 295 है। राज्य में सर्वाधिक उपखंड भीलवाड़ा (16) में है तो सबसे कम जैसलमेर (4) में हैं।

यह राजस्व संबंधी कार्य करता है, तो S.D.O. कहलाता है तथा जब वह प्रशासनिक व न्यायिक कार्यों का संपादन करता है तो वह S.D.M. कहलाता है।

इस उपखंड का सर्वोच्च अधिकारी ‘उपखंड अधिकारी‘ कहलाता है जिसे जिला कलेक्टर की आँख एवं कान तथा उप जिला कलेक्टर, परगना अधिकारी के रूप में भी जाना जाता है।

ध्यातव्य रहे- उपखंड अधिकारी राज्य प्रशासनिक सेवा (RAS) का अधिकारी होता है।

उपखंड अधिकारी जिले में कलेक्टर एवं तहसीलदार के मध्य मध्यस्थ के रूप में कार्य करता है एवं उपखंड में राजस्व प्रशासन को सफलतापूर्वक संचालित करने में अपनी भूमिका निभाता है।

उपखंड अधिकारी के कार्य

SDM के रूप में कार्य-

उपखंड अधिकारी उपखंड स्तर पर वही कार्य इस रूप में करता है जो कलेक्टर द्वारा जिला स्तर पर किये जाते हैं अर्थात जिले में जिला कलेक्टर को जो दण्डनायक शक्तियां प्राप्त है वहीं उपखंड स्तर पर इसे प्राप्त हैं।

यह शांति व्यवस्था स्थापित करने, जेल तथा पुलिस थानों का निरीक्षण करने, फौजदारी प्रकरणों की जाँच करने एवं धारा 144 को लगाने से संबंधित कार्य उपखण्ड स्तर पर करता है।

ध्यातव्य रहे- इस रूप में इसके द्वारा किये जाने वाले कार्य पुलिस प्रशासन के सहयोग पर निर्भर करते हैं।

न्यायिक अधिकारी के रूप में-

भूमि संबंधित विवादों, चरागाह भूमि विवाद, भू-अभिलेख, पंजीकरण विवाद, नामान्तरण से संबंधित विवाद, लगान-मुक्त भूमि की जाँच आदि से संबंधित अर्द्ध-न्यायिक शक्तियाँ प्राप्त होती हैं।

यह भी पढ़ें

  1. राजस्थानी चित्रकला की मारवाड़ शैली / Marwar School of Paintings
  2. राजस्थान का इतिहास – प्रागैतिहासिक, आद्य ऐतिहासिक एवं ऐतिहासिक काल
  3. राजस्थान में पाई जाने वाली प्रमुख मिट्टियाँ – Major soils of Rajasthan
  4. राजस्थान की विधानसभा – गणपूर्ति व सत्र, कार्यकाल तथा प्रमुख शक्तियाँ

राजस्व अधिकारी के रूप में कार्य

  • ग्राम वाइज नक्शे एवं भू-अभिलेख तैयार करवाना।
  • पटवारी/कानूनगो/गिरदावर/भू-अभिलेख निरीक्षक के कार्यो का निरीक्षण करना एवं उनके कार्यालयों का निरीक्षण करना।
  • भू-राजस्व संग्रहण की प्रक्रिया को दुरुस्त बनाना।
  • उपखंड क्षेत्र की रिपोर्ट जिला कलेक्टर को देना।
  • फसल की स्थिति का आंकलन करना एवं उसकी रिपोर्ट तैयार करवाना

प्रशासनिक अधिकारी के रूप में कार्य

  • उपखंड क्षेत्र के समस्त अधीनस्थ लोक सेवाओं के अधिकारियों पर नियंत्रण रखना एवं पर्यवेक्षण का कार्य करना।
  • राजस्व अभियानों के अंतर्गत जन शिकायतों का निपटारा करना।
  • गरीबी रेखा के नीचे जीवन-यापन करने वाले लोगों से संबंधित कार्यक्रमों के संदर्भ में आवश्यक जानकारी प्राप्त करना।
  • उचित मूल्यों की दुकानों पर नियंत्रण रखना तथा दोषी व्यक्तियों के विरुद्ध कार्यवाही का आदेश जारी करना।
  • सरकारी भूमि पर अतिक्रमण रोकना।

[su_button url=”https://jangidweb.in/%e0%a4%b5%e0%a4%be%e0%a4%af%e0%a5%81-%e0%a4%ab%e0%a5%8b%e0%a4%9f%e0%a5%8b%e0%a4%9a%e0%a4%bf%e0%a4%a4%e0%a5%8d%e0%a4%b0-%e0%a4%8f%e0%a4%b0%e0%a4%bf%e0%a4%af%e0%a4%b2-%e0%a4%ab%e0%a5%8b%e0%a4%9f/” background=”#2d36ef” size=”8″ icon_color=”#ffffff”]DOWNLOAD LINK [/su_button]

Leave a Comment