Rajasthan ke durg in hindi इस पोस्ट में आप राजस्थान के rajasthan ke pramukh durg के बारे में जानकारी प्राप्त करोगे हमारी ये पोस्ट Rajasthan GK की दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है जो की BSTC, RAJ. POLICE, HIGH COURT, 2nd grade, 1st grade, PATWARI. REET, SSC GK, SI, पटवारी, राजस्थान पुलिस और RPSC में पूछा जाता है
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राजस्थान के प्रमुख दुर्ग व किले – Rajasthan ke Durg in Hindi
जैसलमेर का किला – Jaisalmer fort
Rajasthan ke durg in hindi राजस्थान की स्वर्णनगरी कहे जाने वाले जैसलमेर में त्रिकूट पहाड़ी पर पीले पत्थरों से निर्मित इस किले को ‘सोनार का किला’ भी कहा जाता है। इसका निर्माण बारहवीं सदी में भाटी शासक राव जैसल ने करवाया था। दूर से देखने पर यह किला पहाड़ी पर लंगर डाले एक जहाज का आभास कराता है। दुर्ग के चारों ओर घाघरानुमा परकोटा बना हुआ है, जिसे ‘कमरकोट’ अथवा ‘पाडा’ कहा जाता है।
इसे बनाने में चूने का प्रयोग नहीं किया गया बल्कि कारीगरों ने बड़े-बड़े पीले पत्थरों को परस्पर जोड़कर खड़ा किया है। 99 बुर्जों वाला यह किला मरुभूमि का महत्त्वपूर्ण किला है। किले के भीतर बने प्राचीन एवं भव्य जैन मंदिर-पार्श्वनाथ और ऋषभदेव मंदिर अपने शिल्प एवं सौन्दर्य के कारण आबू के देलवाड़ा जैन मंदिरों के तुल्य हैं। किले के महलों में रंगमहल, मोती महल, गजविलास और जवाहर विलास प्रमुख हैं। जैसलमेर का किला इस रूप में भी खासा प्रसिद्ध है कि यहाँ पर दुर्लभ और प्राचीन पाण्डुलिपियों का अमूल्य संग्रह है।(rajasthan ke durg in hindi)
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जैसलमेर का किला ढाई साके’ के लिए प्रसिद्ध है। पहला साका अलाउद्दीन खिलजी (1296-1316) के आक्रमण के दौरान, दूसरा साका फिरोज तुगलक (1351-1388) के आक्रमण के दौरान हुआ था । 1550 में कं६ग़र के अमीर अली ने यहाँ के भाटी शासक लूणकरण को विश्वासघात करके मार दिया था परन्तु भाटियों की विजय होने के कारण महिलाओं ने जौहर नहीं किया। यह घटना ‘अर्द्ध साका’ कहलाती है।(rajasthan ke durg in hindi)
तारागढ़ (अजमेर)
अजमेर में स्थित तारागढ़ को ‘गढ़बीठली’ के नाम से भी जाना जाता है। चौहान शासक अजयराज (1105-1133) द्वारा निर्मित इस किले के बारे में मान्यता है कि राणा सांगा के भाई कुँवर पृथ्वीराज ने इस किले के कुछ भाग बनवाकर अपनी पत्नी तारा के नाम पर इसका नाम तारागढ़ रखा था। तारागढ़ के भीतर 14 विशाल बुर्जे, अनेक जलाशय और मुस्लिम संत मीरान् साहब की दरगाह बनी हुई है।(rajasthan ke durg in hindi)
तारागढ़ (बूँदी)
बूँदी का दुर्ग तारागढ़ पर्वत की ऊँची चोटी पर तारे के समान दिखाई देने के कारण ‘तारागढ़’ के नाम से प्रसिद्ध है। हाड़ा शासक बरसिंह द्वारा चौदहवीं सदी में बनवाये गये इस किले को मालवा के महमूद खिलजी, मेवाड़ के राणा क्षेत्रसंह और जयपुर के सवाई जयसिंह के आक्रमणों का सामना करना पड़ा। यहाँ के शासक सुर्जन हाड़ा द्वारा 1569 में अकबर की अधीनता स्वीकारने के कारण यह किला अप्रत्यक्ष रूप से मुगल अधीनता में चला गया। तारागढ़ के महलों के भीतर सुन्दर चित्रकारी (भित्तिचित्र) हाड़ौती कला के सजीव रूप का प्रतिनिधित्व करती है। किले में छत्र महल, अनिरूद्ध महल, बादल महल, फूल महल इत्यादि बने हुये हैं।(rajasthan ke durg in hindi)
नाहरगढ़
जयपुर के पहरेदार के रूप में प्रसिद्ध इस किले का निर्माण सवाई जयसिंह ने करवाया था। इस किले को सुदर्शनगढ़ के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस किले का निर्माण सवाई जयसिंह ने मराठों के विरुद्ध सुरक्षा की दृष्टि से करवाया था| इस किले में सवाई माधोसिंह ने अपनी नौ पासवानों के नाम पर एक समान नौ महल बनवाये।
मेहरानगढ़ – Rajasthan ke Durg
सूर्यनगरी के नाम से विख्यात जोधपुर की चिड़ियादूक पहाड़ी पर राव जोधा ने 1459 में मेहरानगढ़ का निर्माण करवाया था। मयूर की आकृति में बने इस दुर्ग को मयूरध्वज के नाम से जाना जाता है | मेहरानगढ़ दो मंजिला है। इसमें रखी लम्बी दूरी तक मार करने वाली अनेक तोपों का अपना गौरवमयी इतिहास है। इनमें किलकिला, भवानी इत्यादि तोपें अत्यधिक भारी और अद्भुत हैं। यह दुर्ग वीर दुर्गादास की स्वामिभक्ति का साक्षी है। लाल बलुआ पत्थर से निर्मित मेहरानगढ़ वास्तुकला की दृष्टि से बेजोड़ है। इस किले के स्थापत्यों में मोती महल, फतह महल, जनाना महल, श्ृंगार चौकी, तख्तविलास, अजीत विलास, उम्मेद विलास इत्यादि का वैभव प्रशंसनीय है। इसमें स्थित महलों की नक््काशी, मेहराब, झरोखें और जालियों की बनावट हैरत डालने वाली है।(rajasthan ke durg in hindi)
रणथम्भौर दुर्ग
सवाई माधोपुर शहर के निकट स्थित रणथम्भौर दुर्ग अरावली पर्वत की विषम आकृति वाली सात पहाड़ियों से घिरा हुआ है। यह किला यद्यपि एक ऊँचे शिखर पर स्थित है, तथापि समीप जाने पर ही दिखाई देता है। यह दुर्ग चारों ओर से घने जंगलों से घिरा हुआ है तथा इसकी किलेबन्दी काफी सुदृढ़ है। इसलिए अबुल फजल ने इसे बख्तरबंद किला कहा है। ऐसी मान्यता है कि इसका निर्माण आठवीं शताब्दी में चौहान शासकों ने करवाया था। हम्मीर देव चौहान की आन-बान का प्रतीक रणथम्भौर दुर्ग पर अलाउद्दीन खिलजी ने 1304 में ऐतिहासिक आक्रमण किया था।
हम्मीर विश्वासघात के परिणामस्वरूप लड़ता हुआ वीरगति को प्राप्त हुआ तथा उसकी पत्नी रंगादेवी ने जौहर कर लिया। यह जौहर राजस्थान के
इतिहास का प्रथम जौहर माना जाता है। रणथम्भौर किले में बने हम्मीर महल, हम्मीर की कचहरी, सुपारी महल, बादल महल, बत्तीस खंभों की छतरी, जैन मंदिर तथा त्रिनेत्र गणेश मंदिर उल्लेखनीय हैं। गणेश मन्दिर की विशेष मान्यता है।(rajasthan ke durg in hindi)
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लोहागढ़ – Rajasthan ke Durg
राजस्थान के सिंहद्वार भरतपुर में जाट राजाओं की वीरता एवं शौर्य गाथाओं को अपने आंचल में समेटे लोहागढ़ का किला अजेयता एवं सुदृढ़ता के लिए प्रसिद्ध हैं। जाट शासक सूरजमल ने इसे 1733 में बनवाया था। लोहागढ़ को यहाँ पूर्व में एक मिट्टी की गढ़ी को विकसित करके वर्तमान रूप में परिवर्तित किया गया। किले के प्रवेशद्वार पर अष्टधातु निर्मित कलात्मक और मजबूत दरवाजा आज भी लोहागढ़ का लोहा मनवाता प्रतीत होता है। इस कलात्मक दरवाजे को महाराजा जवाहरसिंह 1765 में दिल्ली से विजय करके लाये थे।
इस किले की अभेद्यता का कारण इसकी दीवारों की चौड़ाई है। किले की बाहरी प्राचीर मिट्टी की बनी है तथा इसके चारों ओर एक गहरी खाई है। अंग्रेज जनरल लॉर्ड लेक ने तो अपनी विशाल सेना और तोपखाने के साथ पाँच बार इस किले पर चढ़ाई की परन्तु हर बार उसे पराजय का सामना करना पड़ा। किले में बने किशोरी महल, जवाहर बुर्ज, कोठी खास, दादी माँ का महल, वजीर की कोठी, गंगा मंदिर, लक्ष्मण मंदिर आदि दर्शनीय हैं।(rajasthan ke durg in hindi)