भारतीय सिंधु घाटी सभ्यता विश्व की प्राचीन सभ्यता में से एक है प्रारंभिक खुदाई के स्थल सिंधु नदी के आसपास होने के कारण इसे सिंधु घाटी सभ्यता का नाम दिया गया। लेकिन बाद में उत्खनन स्थलों का क्षेत्र विस्तार सिंधु नदी से दूर तक मिलने के कारण सर्वप्रथम खोजें हड़प्पा स्थल के नाम पर इसका नाम हड़प्पा सभ्यता पड़ा।
सिंधु / हड़प्पा सभ्यता के प्रमुख स्थल –
- मोहनजोदड़ो
- हड़प्पा
- चन्हूदडो़
- लोथल
- कालीबंगा
- रोपड़
- धोलावीरा
- सुत्कांगेडोर
- रंगपुर
- बनावली
- कोटदीजी
- आलमगीरपुर
- दैमाबाद
- मांडा
- रोजड़ी
- सुरकोटदा
1.मोहनजोदड़ो –
- मोहनजोदड़ो का शाब्दिक अर्थ है मृतकों का टीला।
- मोहनजोदड़ो की खुदाई सर्वप्रथम राखलदास बनर्जी ने 1922 में की थी ।
- मोहनजोदड़ो की मुख्य विशेषता उसकी सड़कें थी जो ग्रिड (greed) पैटर्न पर आधारित थी।
- इनके मकानों के दरवाजे की गलियों में ही खुलते थे ।
- मोहनजोदड़ो का सबसे महत्वपूर्ण स्थल सार्वजनिक स्नानागार था।
- यह स्नानागार शायद धर्म अनुष्ठान के लिए प्रयोग किया जाता था। इसे मार्शल ने तत्कालीन विश्व का आश्चर्य जनक निर्माण कहा था।
- स्नानागार के अलावा महत्वपूर्ण इमारत विशाल अन्नागार था। जो मोहनजोदड़ो की सबसे विशाल इमारत थी।
- मोहनजोदड़ो के अधिकांश घरों में निजी कुएं एवं स्नानागार होते थे।
- घरों के गंदे पानी को निकालने के लिए पक्की नालियों की व्यवस्था होती थी।
- पुरातत्वविदो द्वारा उत्खनन में मोहनजोदड़ो से अनेक साक्ष्य प्राप्त हुए हैं, जो निम्न प्रकार से है – नृत्य करती नारी की कांसे की प्रतिमा, महाविद्यालय भवन, हाथी का कपाल, खंड सूती कपड़े के अवशेष, सीप से बने स्केल (नापने का यंत्र) कुए से नर कंकाल, एक मुद्रा पर नाव की आकृति, मिट्टी का तराजू, लाल बलुआ पत्थर का पुरुष धड़, पशुपतिनाथ की मूर्ति, घोड़े के दांत, गले हुए तांबे के ढेर मिले हैं।
2. हड़प्पा –
- हड़प्पा पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के मोंटगोमरी जिले में रावी नदी के तट पर स्थित है ।
- सन 1921 ईस्वी में दयाराम साहनी ने सर्वप्रथम इस स्थल का उत्खनन करवाया ।
- दयाराम साहनी के बाद में लगातार 1926 में माधोस्वरूप वत्स और 1946 में मार्टीमर व्हीलर ने उत्खनन कार्य को आगे बढ़ाया।
- हड़प्पा, नगर सभ्यता के अन्य नगरों के समान दो भागों पूर्वी और पश्चिमी भागों में विभक्त था।
- पूर्वी भाग सामान्य जन के आवास तथा पश्चिमी भाग दुर्गीकृत था।
- इस पश्चिमी किले को मार्टीमर व्हीलर ने माउंट एबी की संज्ञा दी ।
- हड़प्पा नगर की आवासों में मोहनजोदड़ो के सम्मान में नहीं थी ।
- हड़प्पा के उत्खनन में चबूतरो के ऊपर 2 पंक्तियों में 6-6 अन्नागार, एक कब्रिस्तान मिला। जिसका नाम R-37 रखा गया।
- इसके अलावा हड़प्पा स्थल से पीतल का एक का इक्का, शंख का बना बैल, स्त्री के गर्भ से निकला हुआ पेड़ (इसे सेंधव लोग उर्वरता की देवी कहते हैं) कुबडदार बैल की आकृति, चित्रित मुद्राएं, ईटों के वृत्ताकार चबूतरे, गेहूं व जौ के दाने, दाढ़ी युक्त पुरुष की पाषाण प्रतिमा प्राप्त हुई।
- पुराविदो ने हड़प्पा नगर को सेंधव सभ्यता की जुड़वा राजधानी (हड़प्पा- मोहनजोदड़ो) माना है।
3. चन्हूदडो –
- चन्हूदडो पाकिस्तान के सिंध प्रांत में स्थित है।
- इसका उत्खनन 1931 ईस्वी एमजी मजूमदार और 1935 ईस्वी में अर्नेस्ट मैके ने करवाया
- यह सेंधव सभ्यता का औद्योगिक नगर था ।
- यहां से मनके बनाने का कारखाना प्राप्त हुआ।
- चन्हूदडो के उत्खनन से पता चलता है कि यह सिंधु सभ्यता से पूर्व भी (ग्रामीण-संस्कृति) के अवशेष प्राप्त होते हैं। जो प्राक् हड़प्पा काल के प्रतीत होते हैं।
- यहा से अन्य नगरों के सम्मान दुर्गों की किलेबंदी का प्रमाण नहीं मिलता है।
- अलंकृत हाथी, कुत्ते द्वारा बिल्ली का पीछे करने का पद चिन्ह, लिपस्टिक तथा 6 लडी़ का सोने का हार के अवशेष प्राप्त हुए है।
4. लोथल –
- लोथल, हड़प्पा और मोहनजोदड़ो स्थलों के बाद सिंधु सभ्यता का सर्वप्रथम स्थल है, जो हमदाबाद जिले के सागरवल नामक ग्राम के समीप स्थित है।
- इनका उत्खनन 1955 ईस्वी में एचआर राव के निर्देशन में करवाया गया।
- यहां से जहजो की गोदी के अवशेष मिले हैं, जिनके आधार पर कहा जाता है कि लोथल सेंधव सभ्यता का प्रमुख बंदरगाह था।
- लोथल से फारस की मुहरे प्राप्त हुई है। जिसके आधार पर माना गया कि सेंधव लोग फारस से व्यापार करते थे।
- लोथल से चावल, बाजरे के साक्ष्य, घोड़े की मूर्ति, तीन युगल समाधिया और कालीबंगा के समान चबूतरे पर अग्नि कुंड, दिशा मापक यंत्र, चक्की के दो पाटों व मृदाभांड पर पंचतंत्र के चालाक लोमड़ी जैसा, पक्की हुई मिट्टी से निर्मित नाव की प्रतिकृति के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं।
5. कालीबंगा –
- कालीबंगा का शाब्दिक अर्थ है – काली चूड़ियां।
- कालीबंगा राजस्थान हनुमानगढ़ जिले में स्थित है।
- यह एक महत्वपूर्ण सैंधव स्थल है।
- कालीबंगा की खोज अमलानंद घोष ने तथा 1961 में बीबी लाल और वीके थापर के निर्देशन में उत्खनन करवाया गया।
- यहां से सिंधु सभ्यता से पूर्व की एक किलेबंदी युक्त ग्रामीण बस्ती के अवशेष प्राप्त हुए हैं।
- कालीबंगा से जूते हुए खेत तथा हल के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं।
- यहां पर खेतों में फसल समकोण के आकार में बोई जाती थी ।
- कालीबंगा के पश्चिमी किले पर अग्नि कुंडो के अवशेष प्राप्त हुए हैं जिनमें पशुओं की हड्डी और राख के अवशेष प्राप्त हुए। जिनसे अनुमान लगाया जा सकता है कि यहा बलि प्रथा मौजूद थी।
- सेंधव सभ्यता के अन्य नगरों के समान यहां पर भी जल निकासी की व्यवस्था का अभाव था।
- यहां पर कच्ची ईंटों का इस्तेमाल देखने को मिलता है ।
- यहां से चावल की भूसी के अवशेष प्राप्त हुए हैं।
- यहां के लोग एक ही खेत में दो फसलों को उगाते थे।
6. धौलावीरा –
- सिंधु सभ्यता का स्थल धौलावीरा गुजरात के कच्छ जिले में स्थित है।
- इसकी खोज 1967 ईस्वी में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की जेपी जोशी ने की तथा इनके बाद 1991 ईस्वी में आर एस बिष्ट के नेतृत्व में उत्खनन का कार्य करवाया गया।
- यहां से नगर निर्माण का अनुपम उदाहरण मिलता है सैंधव के नगर जहां दो भागों में विभाजित थे, वही धोलावीरा तीन भागों में विभक्त मिलता है।
- यहा से घोडो के कलाकृतियों के अवशेष मिले हैं ।
- यहां से पालिशदार श्वेत पास्ता बड़ी मात्रा में प्राप्त हुए।
- भवन निर्माण, जल निकासी व्यवस्था, कलाकृतियों की पृष्ठभूमि, नगर नियोजन और लिपि की प्राचीनता धोलावीरा को अन्य सैंधव सभ्यता से उत्कृष्टता प्रदान करता है।
7. रोपड़ – हड़प्पा सभ्यता
- रोपड़ पंजाब प्रांत के सतलज नदी के तट पर स्थित है ।
- इसकी खोज 1950 में सर्वप्रथम बीवी लाल ने की थी।
- यह भारत का एकमात्र स्थल है जहां से इस संस्कृति के छह चरण देखने को मिलते हैं।
- यहां से एक कब्र में मनुष्य के साथ कुत्ते को दफनाने के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं ।
8.बनावली –
- बनावली हरियाणा के हिसार जिले में स्थित है ।
- इनका उत्खनन 1973-74 में आर एस बिष्ट ने करवाया था।
- यहां से संस्कृति के तीन स्तर प्राप्त हुए हैं – १.प्राक २.हडपा ३. उत्तर हड़प्पा।
- यह नगर दो नगरों में विभाजित ने होकर एक ही परकोटा से गिरा हुआ मिलता है।
9. सुकांगेडोर –
- सुकांगेडोर पाकिस्तान के मकरान समुद्र तट के किनारे पर स्थित है।
- यह सैंधव सभ्यता का से पश्चिमी स्थल है।
- इसकी खोज सर्वप्रथम 1927 ईस्वी में स्ट्राइन की थी तथा 1962 ईस्वी मे जार्ज के नेतृत्व में उत्खनन कार्य प्रारंभ किया गया।
- इस स्थल
का महत्व एक बंदर का के रूप में था जिसका व्यापार मेसोपोटामिया में सुचारू रूप से होता था।
10. रंगपुर –
- 1931 में माधोस्वरूप वत्स द्वारा खोज तथा 1953 में एचआर राव द्वारा उत्खनन कार्य किया गया।
- रंगपुर काठियावाड़ अमदाबाद में मादर नदी के तट पर स्थित है।
- रंगपुर आजादी के बाद भारत में खोजा गया प्रथम स्थल है ।
- यहां से चावल की भूसी वे बाजरे के साथ अवशेष मिले हैं।
11. कोटदीजी – हड़प्पा सभ्यता
- सर्वप्रथम 1955 में धुर्ये द्वारा खोज व 1955 में फजल अहमद द्वारा उत्खनन कार्य किया गया।
- यह पाकिस्तान के सिंध प्रांत में सिंधु नदी पर स्थित है ।
- यहां से पत्थर के वाणाग्र प्राप्त हुए है।
- यह उपकरण प्राप्त होने वाला एकमात्र सैंधव स्थल है था।
12. आलमगीरपुर – हड़प्पा सभ्यता
- 1958 में यज्ञदत्त शर्मा द्वारा उत्खनन कार्य किया गया ।
- मेरठ (उत्तर प्रदेश) हिंडन नदी के तट पर स्थित है।
- यहा से उत्खनन में मृदभांडो पर मोर व गिलहरी की चित्रकारी मिली है।
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13. सुरकोटदा – हड़प्पा सभ्यता
- 1964 में जगपति जोशी द्वारा उत्खनन कार्य किया गया।
- यह कच्छ गुजरात में स्थित है।
- यहां से घोड़े की अस्थियां एक विशेष प्रकार की कब्र तथा तराजू का पलड़ा प्राप्त हुआ है।
14. दैमाबाद – हड़प्पा सभ्यता
- उत्खनन कार्य 1974 – 79 में किया गया
- यह महाराष्ट्र के अहमदनगर में प्रवरा नदी के तट पर स्थित है।
- यह सिंधु सभ्यता का दक्षिणतम क्षेत्र है ।
- यहां से तांबे की इक्कागाड़ी प्राप्त हुई है।
15. माण्डा –
- 1982 में जगपति दोषी द्वारा उत्खनन कार्य किया गया ।
- यह जम्मू कश्मीर का एकमात्र स्थल है।
- जो चिनाब नदी के तट पर स्थित है।
- खुदाई में प्राक् हडप्पन, हडप्पन, उत्तर हडप्पन तीनों स्तरों का क्रम मिलता है।
16. रोजड़ी – हड़प्पा सभ्यता
- राजकोट गुजरात में मादर नदी के तट पर स्थित है।
- यहां से हाथी का साक्ष्य प्राप्त हुआ है।
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